एक समय की बात है एक आदमी हाथियों के एक समूह के पास चल रहा था जिन्हे एक छोटी रस्सी ने उनके सामने के पैर से बाँधा हुआ था। वह इस तथ्य से चकित था कि विशाल हाथी भी रस्सी को तोड़ने और खुद को मुक्त करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।
उसने देखा कि उनमे से एक हाथी जो की अत्यधिक मनमोहक प्रतीत हो रहा था वह उनके प्रसिक्छक के पास ही उस व्यक्ति से रहा न गया और उसने प्रसिक्छक के पास जाकर उसने अपनी मनमोहक स्थिति को व्यक्त किया। प्रसिक्छक ने उसकी उत्सुकता समझते हुए उसे बताया की , "जब वे बहुत छोटे होते हैं तो हम उन्हें बाँधने के लिए एक ही आकार की रस्सी का उपयोग करते हैं और उस उम्र में उन्हें पकड़ना काफी होता है।"
जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें विश्वास होता है कि वे टूट नहीं सकते। उनका मानना है कि रस्सी अभी भी उन्हें पकड़ सकती है, इसलिए वे कभी भी रस्सी को तोड़ने की कोशिश नहीं करते हैं। ”
मेरे शब्द : जैसा की इस कहानी में हमने देखा की हाथी को बचपन से ही असफलता का चेहरा दिखाया जाता है जिसके कारण जब वह बड़ा और सामर्थ्यवान हो जाता है उसके बावजूद वह उस मामूली सी रस्सी को नहीं तोरपता उसी प्रकार हम अपने बचपन में कई प्रकार के सपने देखते है और हमारे आस पास के लोग ये बताते है की हम वो नहीं कर पायेगे क्यों क्योकि वो भी नहीं कर पाये यह जरुरी नहीं की हम अपनी कमियों से पार न पा सके ये हमपर निर्भर करता है की हम क्या सोचते है या हमारी इच्छा सकती कितनी प्रबल है क्योकि जो हम सोचते है वही आज नहीं तो कल हम बन जाते हैा