हाथी की रस्सी


 हाथी की रस्सी motivation of the day

एक समय की बात है  एक आदमी  हाथियों के एक समूह के पास चल रहा था जिन्हे  एक छोटी रस्सी ने उनके सामने के पैर से बाँधा हुआ था। वह इस तथ्य से चकित था कि विशाल हाथी भी रस्सी को तोड़ने और खुद को मुक्त करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।

 हाथी की रस्सी motivation of the day
उसने देखा कि उनमे से एक हाथी जो की अत्यधिक मनमोहक प्रतीत हो रहा था वह  उनके प्रसिक्छक के पास ही उस व्यक्ति से रहा न गया और उसने प्रसिक्छक के पास जाकर उसने अपनी मनमोहक स्थिति को व्यक्त किया। प्रसिक्छक ने उसकी उत्सुकता समझते हुए उसे बताया की , "जब वे बहुत छोटे होते हैं तो हम उन्हें बाँधने के लिए एक ही आकार की रस्सी का उपयोग करते हैं और उस उम्र में उन्हें पकड़ना काफी होता है।"

जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें विश्वास होता है कि वे टूट नहीं सकते। उनका मानना है कि रस्सी अभी भी उन्हें पकड़ सकती है, इसलिए वे कभी भी रस्सी को तोड़ने की कोशिश नहीं करते हैं। ”

मेरे शब्द : जैसा की इस कहानी में हमने देखा की हाथी को बचपन से ही असफलता का चेहरा दिखाया जाता है जिसके कारण जब वह बड़ा और सामर्थ्यवान हो जाता है उसके बावजूद वह उस मामूली सी रस्सी को नहीं तोरपता उसी प्रकार हम अपने बचपन में कई प्रकार के सपने देखते है और हमारे आस पास के लोग ये बताते है की हम वो नहीं कर पायेगे क्यों क्योकि वो भी नहीं कर पाये यह जरुरी नहीं की हम अपनी कमियों से पार न पा सके ये हमपर निर्भर करता है की हम क्या सोचते है या हमारी इच्छा सकती कितनी प्रबल है क्योकि जो हम सोचते है वही आज नहीं तो कल हम बन जाते हैा  


 हाथी की रस्सी motivation of the day

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