Saga Of Goswami Tulsidas Tulsidas.


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कैसे है आप सभी दोस्तों मे जब तुलसीदास जी के बारे में पढ़ रहा था तो मुझे कुछ रोचक बताई पता लगी। जिसे कुछ लोग  सच  मानते हैं और कुछ इसे सिर्फ इक दन्त कथा। 

आपकी क्या राय है इस विषय पर ?


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  • वाल्मीकि के अवतार

ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी महर्षि वाल्मीकि जी के पुर्नजन्म थे। हिंदू धर्मग्रंथ भव्‍योत्‍तार पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्‍नी देवी पार्वती जी को बताया था कि कलयुग में वाल्‍मीकि कैसे अवतार लेंगे।

सूत्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि हनुमानजी रामायण का गायन सुनने के लिए वाल्मीकि जी के पास जाते थे। रावण पर भगवान राम की विजय के बाद, हनुमानजी हिमालय की गहराईयो मे चले गए। ऐसा माना जाता है की हनुमानजी आज भी जीवित हैं और प्रभु भक्ति मै लीन है। इस विषय पर कभी और चर्चा करेंगे। 

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  • गोस्वामी तुलसी दस का भगवान हनुमान जी से मिलन  

तुलसीदास जी हनुमान जी से अपनी कथा में मिलते हैं, वे हनुमान जी  के चरणों में गिर गए और चिल्लाते हुए कहा कि मुझे पता है कि आप कौन हो इसलिए आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकते।तुलसीदास जी के नैनो मैं करुणा एवं भक्ति भाव देखकर , हनुमान जी ने उन्हें  आशीर्वाद दिया। तुलसीदास जी ने हनुमान जी के सामने अपनी भावना व्यक्त करते हुए उनसे भक्ति भाव से कहा कि वह प्रभु श्री राम के साथ उनके दर्सन के अभिलाषी हैं। हनुमान जी ने उन्हे निर्देशित किया और कहा कि चित्रकूट में जाओ जहां तुम्हे वास्तव में श्री राम के दर्सन होंगे ।


  • वह कैसे प्रभु श्री राम से मिलते  हैं। 

हनुमानजी से निर्देश मिलने के पश्चात , तुलसीदास जी हनुमानजी के निर्देशों का पालन किया और चित्रकूट के रामघाट में स्थित आश्रम में रहने लगे। एक दिन जब वह कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने गये , तो उन्होंने दो राजकुमारों को घोड़े पर अपनी ओर आते हुए देखा। लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं सके। बाद में जब उन्होंने स्वीकार किया कि वे हनुमानजी समेत श्री  राम और श्री लक्ष्मण हैं, तो वे निराश हो गए।
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इन सभी घटनाओं का वर्णन उन्होंने स्वयं अपने लेखन गीतावली में किया है। अगली सुबह, वह श्री राम से फिर मिले जब वह चंदन का लेप बना रहे थे।श्री राम उनके पास आए और चंदन के लेप के साथ एक तिलक मांगा, इस तरह से उन्हे श्री राम के दर्शन हुए। तुलसीदास जी बहुत खुश हुए और वह चंदन के लेप के बारे में भूल गए, फिर श्री राम ने स्वयं तिलक लिया और अपने मस्तक पर तिलक लगाया।

विनयपत्रिका में, तुलसीदास ने चित्रकूट में चमत्कार और श्री राम के बिषय में बहुत उल्लेख किया था। उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे माघ मेले में याज्ञवल्क्य (वक्ता) और भारद्वाज (श्रोता) के दर्शन किए।


दोस्तों मेने कई वेडिओस देखे और कई लेख पढ़े जैसा की मैंने पहले भी कहा था की कुछ लोग इसे सच  मानते हैं तो कुछ इसे सिर्फ इक दन्त कथा। यह पर मैंने कम शब्दो मे आपको इन रोचक कहानियों के विषय मै बताने की कोशिस की है आशा है आप अपने विचारो को सत्य की द्रिष्टि से जानेंगे। 

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